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भारत में अंगरेज़ी राज

१२०६ भारत में अंगरेजी राज । हमारी सेना को छोड़ दिया था, जिस अवसर पर यदि वे चाहते तो उसे निर्तत कर सकते थे ।'s ड्यूक ऑफ़ वेलिझटन ने ३० मार्च सन् १८४२ को एक पत्र में लॉर्ड प्लेनब्रु को सलाह दी कि अफ़ग़ानिस्तान की हार और शर्म को दूर करने और अंगरेजों की कीर्ताि फिर से कायम करने के लिए किसी न किसी भारतीय नरेश पर फ़ौरन हमला करके उसके राज को कम्पनी के इलाके में मिला लिया जाय । पाँचवाँ कारण मुसलमानों के प्रति एलेन का विशेष रूप और उम पर उसका अविश्वास था । लॉर्ड पलेन ने २२ मार्च सन् १८४३ को ड्यूक ऑफ़ वेलिजेंटन के नाम एक पत्र लिखा जिसमें उसने स्पष्ट स्वीकार किया है कि सिन्ध के अमीरों पर पत्र व्यवहार के सम्बन्ध में जो इलज़ाम लगाए गए थे वे ये बुनियाद थे । कुछ दिन बाद इइलिस्तान की पार्लिमेरठ के सामने भी यह बात साबित हो गई कि वे सब पत्र . जाली थे । A w But the real enuse of his canstisement of the Amirs consised in the chastisement which the British had received from the Afgans. It was deemed expedient at this stage of the great political joumey, to shoप that the British could beat some One, and so it was determined to beat the Amirs of Sindh . , . the GovernoreGeneral resolved, that the Amirs who a Mew सmonths before bad spared our army, when they might have annihilated it, should be the victims of this generous polhcy"--Sir John Kaye in is Calmatta Rarter, vol 1, p. 232