पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१३

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( १० ) उनचासवाँ अध्याय लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे , लमीयाई का सेनापतिब-काँसी में आाठ दिन का लगातार संग्राम-लघमीबाई के प्रयत्ल-रानी का फाँसी स्याग—याँदा का नवाय । करपी का राव---क्रान्तिकारियों में 'व्यवस्था--काली का संग्राम ‘लेयर पर क्रान्तिकारियों का क़ब्ज़ा-ताया और लक्ष्मीबाई की योग्यता- लक्ष्मीयाई फी व्यूह रचना ग्वालियर का संग्राम-लपमीबाई की वीरता—लमीयाई का बलिदान--लक्ष्मीबाई का चरित्र-दक्षिण में क्रान्ति-कोरापुर—बेलगाम- सतारा-बम्बई--नागपुर--जबलपुर- हैदराबाद-शोरापुर का चालक राजाभास्कर राव बाबासाहब आंबध में नए सिरे से क्रान्ति की लाग-राजा चेनीमाधव कंपनी के शासन का। अन्त-मलका विक्टोरिया का एलान—बेगम हजरत महल का एलान निर्वासित क्रान्तिकारी आयध का पतन—तात्या टोपे के श्रन्तिम प्रयत-- कोटरा का संग्राम--ताया का नर्मदा पार करना तात्या नागपुर में सास्या का अलौकिक ऊंच-नवाब याँदा का प्रारम समर्पण—मेजर राक की पराजय सास्या देवास में मानसिंह का विश्वासघात-का तात्या । बलिदान-राब साहब औौर फीरोज़शाह का अन्त । ष्ट १६००-१६४है पचासव अध्याय द सन् ५७ के स्वाधीनता संग्राम पर एक दृष्टि क्रान्ति की आसफलता के मुख्य कारण-—समय से पूर्व क्रान्ति का