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सिन्ध पर अंगरेज़ों का क़ब्जा़

सिन्ध पर अंगरेजों का कब्ज़ा १२१५ मिलने भी न पाया था कि १७फ़रवरी सन् १८३ को मियानी नामक स्थान पर अमीरों की इच्ष के विरुद्ध पियर की मियानी का सेना में और उन बलुचियों में जो हैदराबाद की संग्राम रक्षा के लिये जमा हो गए थे, संग्राम शुरू हो गया । मीर नसीर खां का बयान है कि पहला वार नेपियर की जोर से हुआ। इन पाँच हज़ार बलुचियों के प्रतिरक्त नसीर खाँ के पास हैदराबाद के किले के अन्दर उस समय करीब १२ हज़ार बलूची सेना और थी। किन्तु मीर नसीर खाँ ने कटरम के बार बार यह विश्वास दिलाने पर कि नेपियर का इरादा शत्रुता करना या अमीरों का राज छीनना नहीं है, उन्हें नेपियर के विरुद्ध मारन उठाने से रोके रखा। फिर भी मियामी के मैदान में सुबह चार बजे से लेकर सायकाल तक अत्यन्त घमासान संग्राम हुआ। बलूचिों की अंगरेजों की ओर कुछ गोरी और शेप हिन्दोस्तानी वीरता त्तिा पलटनें थीं। बलूचियों ने अपनी घन्टू फेंक फर तलवारों और ढाबों से मुक़ाबला करना शुरू किया । एक १५ दूसरे के बाद अनेक अंगरेज अफसर और सहरों अंगरेज सिपाही मैदान में कष्ट कट कर गिरने लगे । बार बार अंगरेजो सेना को । हार कर पीछे हट जाना पड़ा 1 बलूचियों ने इस वीरता के साथ सामना किया और अंगरेजों की ओर इताहतों की संख्या इतनी बढ़ गई कि मेजर वेडिङटनजो इस समय संग्राम में उपस्थित था, में ७७