पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१३४

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सिन्ध पर अंगरेज़ों का क़ब्जा़

लिन्ध पर अंगरेज़ों का कब्ज़ा १२१६ हमला था । नसीर खाँ ने स्वीकार कर लिया, उसने अपनी बलूची सेना को बरख़ास्त कर दिया। किन्तु वलूची सेना के बरखास्त करते ही नेपियर ने मीर नसीर खाँ, मीर शहदाद खाँ और मीर रुस्तम खाँ को कैद कर लिया। इसके तीन दिन बाद जनरल नेपियर ने एक पलटन सवार, एक पलटन पैदलदो तोपों और कुछ अंगरेड़ अफ़सरों सहित हैदराबाद के किले में प्रवेश किया। नेपियर ने दी मीर नसीर पुल खाँ से यह कहला भेजा कि मैं केबल किले को देखना चाहता हूँ, श्राप अपने जनारनों पर कुछ आदमी साथ कर दी जिये 1 मीर नसीर खाँ ने दीवान मिठारामबहादुर ख़िदमतगार प्रीर अधूद वाचाल को नेपियर के पास भेज दिया। जो हृदय विदारक दृश्य अब हैदराबाद के किले के अन्दर देखने में श्रमाया उसे इम ठीक ठीक दीवान मिठाराम हो के मर्मस्पर्शी शब्दों में नीचे उतृत करते हैं। दीवान मिठाराम ने अपने बयान में जिन जिन अंगरेज अफसरों के नाम दिये थे, कप्तान ईस्टविक ने अपनी पुस्तक में उनके नाम का स्थान छोड़ कर केवल ‘साहब’ सामने लिख दिया है। हम यह बयान कप्तान ईस्टविफ की पुस्तक से ज्यों का ली ' उद्धत कर रहे हैं। दीवान मिठायम लिखता है- ‘इसके बाद साहब दूसरे अफ़सरों औौर सिपाहियों के साथ परलोक बासी मीर करमनलती न के नानवाने में गया, उसने सिर ज्ञा सरो वेग का गला पकड़ कर उसका अपमान किया, और उसे थाना दी कि नानऋने में जो कुछ धन और जेवर हैं वे हमारे हवाले कर दो । इन