जाकर उसके झा, , नाक श्रीर कान से सय जेवर उतार लिए गए ।
- इसके बाद किले में बाहर से थाना बन्द कर दिया गया, परतीकवासी
मीर नूरमोहम्मद ख़ां और मीर नसीर खां की स्त्रियां अभी उस समय तक
क्रिके हो में थीं, दो दिन तक उन्हें लगभग बिना पानी के रक्खा गया । मीर
नसीर खॉों के बेटे मीर हुसैनली खाँ औौर मीर व्यासमती पूर्ण जिले में
झूद थे । उन्होंने एक प्रादमी को—साहय के पास पानी के लिए भेजा ।
उत्तर मिला कि सर चार्ल्स नेपियर की प्राज्ञा है कि जिस किसी को पानी
पीना हो, चाहे वह रुप हो या ब्री, उस गारद के कमाण्डि आफ़सर के
बैंगले पर जाकर पानी पीना होगा । पूछोंकत आमीरों के ज़माननाों में नौकर
चाकर मिला कर कुल पाँच सौ प्राणी थे 1 चम्स में बड़ी कठिनाई के याद
इन पाँच सौ मनुषों के लिए एक मश्क पानी दिया गयाजिससे सत्र में
अपने गले गीले कर लिएप्यास किसी की न सकी । थोसी देर बाद
साइब पीर -->साहेब कुछ सिपाही लेकर इन जनानड्राओं के दरवाजों पर
पहुँचे । दरखाो याद थे, इन लोगों ने कुल्हाड़ों से इरधानों को तोड़ा और
वहाँ की खिों मगे । चियों होकर अपने सब
के सय पर को विवश
जेवर उतार देने पड़े। अगले दिन साझय ने थाकर नानस्ाने का शेष
सय सामान निकाल लिया । एक वी ने बच कर निकल जाना चाहा ।
अकस्मात् वह रेशमी पजामा पहने हुए थी; किले के दरवाज़े पर सिपाहियों
ने उसे रोक लिया और उसके सप कपड़े उतरवा लिए 1 परलोकवासी नूर
मोहम्मद पुत्रों की बेगम ने कुछ कपड़े अपनी एक दासी को दिए कि इन्हें।
बेच कर मेरे लिए कुछ खाना ले आयो । साक्ष्य के मुन्शी ने उस स्त्री को
पकड़ कर उसे पीटा और उसके कपड़े छीन लिए । इसके बाद दो ( अंगरे )
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सिन्ध पर अंगरेज़ों का क़ब्जा़