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सिन्ध पर अंगरेज़ों का क़ब्जा़


मीर नसीर ख़ाँ का बयान है कि हैदराबाद के महलों की बमस्त लूट का मूल्य करीब अठारह करोड़ रुपए था। यह सब धन जहाज़ों में बन्द करक बम्बई भेज दिया गया । सिन्ध पर अंगरेजों का क़ब्ज़ा हो गया । मीर रुस्तम खाँ के राज का एक भाग विश्वासघातक अलीमुराद सिन्ध दिया गया । शेष अंगरेज़ पर अंगरेजों को दे समस्त सिन्ध का क़ब्ज़ा कम्पनी के राज में मिला लिया गया । इसके सात वर्ष बाद अलीमुराद पर भो यह दोप लगा कर कि तुमने सन् १८४३ में मोर रुस्तम खाँ के विरुद्ध जालसाज़ी की थी, उसका आधा राज उससे छीन लिया गया। खैरपुर की शेप छोटो सी रियासत पर अभी तक अलीमुराद के बंशजों का शासन है। कजनके अन्त। एक अलीमुराद को छोड़ कर सिन्ध के शेष समस्त ग्रमीरों और उनके पुत्रों को कैद करके बेड़ियाँ पहना अमीरों का कर जहाज़ पर बैठा कर अपने राज और देश दो से निर्वासित कर दिया गया। उनमें से कुछ को पूना में और कुछ को कलकत्ते, हजारीबाग आदि स्थानों 3 में कैद करके रक्खा गया । बेटों को उनके वार्षों से पृथक रघखा गया। कलकत्ते ही में अंगरेजों की कैद में कुछ दिनों बीमार रह कर मीर नसीर खाँ को मृत्यु हुई । इसी प्रकार पूना में कई वर्ष कैद में रहने had on their personbut their hose and cars were horribly mutiated " Captain s as quoted by R Traveller, in his letter on the Corg११/ V sia, n the 7ttuth ot Lahore, September, 1898.