पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१४

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( ११ ) प्रारम्भ सिखों और गोरखों का अंगरेजों से मिल जाना—योग्य और प्रभावशाली नेताओं का प्रभाव देशी नरेशों की उदासीनता-इक्खिन में उदासीनता दोनों ओोर के प्रत्याचारों की तुलना--क्रान्तिकारियों पर ने मिथ्या इलज़ाम क्रान्ति के नेताओं की उदारता-यदि क्रान्ति सफल हो गई होती उस समय की राष्ट्रीय त्रुटियाँ—यदि क्रान्ति न हुई होती सन् ५७ की क्रान्ति का अन्य देशों पर असर हमारे भावी यादों । पृष्ठ १ ६५०-१ ६६६ इक्यावनवाँ अध्याय सन् १८५७ के बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी का अन्त मलका विक्टोरिया का एलान—देशी रियासतों को कायम रखना भारत म अंगरेजी । उपनिवेश--राष्ट्रीय भावों का नाश् --हिन्दोस्तान की उपजाऊ शक्ति को उन्नति देना भारतीय सेना का संगठनभेदनीति-—भारत से इंगलिस्तान को ख़िरा ख़राजयन्तिम शब्द । पृष्ठ १६६७-१७०८