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भारत में अंगरेज़ी राज


हम लोगों में यह एक रिवाज है कि पहले किसी देशी नरेश का राज ले लेते हैं और फिर पदच्युत नरेश या उसके उत्तरा हम लोग का धिकारी की बुराइयाँ करने लगते हैं ? एक रिवाज' ब्रिटिश भारत के इतिहास में इसके अनेक ही शोकजनक उदाहरण मिलते हैं। किन्तु शायद अंगरेज इतिहास लेखकों के लिये हुए ब्रिटिश भारत के विलियम नेपियर इतिहास में भी कहीं पर कल्पित घटनाओं और की पुस्तक की तूठी बातें " लजास्पद झूठों की इतनी अधिक और इतनी भयडूर मिसालें न मिलेंगीजितनी सरविलियम नेपियर छतसिन्ध की विजय’ में । अपने भाई चार्ल्स नेपियर और उसके साथियों के कारनामों को थोड़ा बहुत जायज करार देने के लिए विलियम नेपियर ने सिन्ध के अमीरों और वहाँ की प्रजा दोनों के ऊपर अनेक कल्पित और अनसुने दोष लगाए हैं । मिसाल के तौर पर, विलियम नेपियर ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि सिन्ध के अमीर लिखने पढ़ने से सर्वथा अनभिज्ञ थे, वे मादक द्रव्यों के -व्यसनी , बूढ़े सीर रुस्तम खाँ के विषय में लिखा है कि वह निर्वल, शराबी और व्यभिचारी था, लिखा है कि अमीरों का व्यवहार हिन्दुओं के साथ बहुत बुरा था ; बलूची लोग अपने हाथ से अपने के बच्चों को मार डालते थे ! इत्यादि, इत्यादि ।f 4

  • " . . . it is a custom among us . . . . to take a native ruler's

kingdom and then to evile the deposed ruler or his would be successor." Sir John Kayes istory of the Soy wa', vol, Hit, p, 361.

  • " And how did these monsters destroy their own children y etc)।

•etc. , "-Congtant of sitcla, by Sir William Napier, part ii, p, 348.