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भारत में अंगरेज़ी राज

१२३२ भारत में अंगरेजी राज' में । सिवायः पानी के और कोई चीज़ म पीतो था, और वह भी दिन में केवल एक बार 1 निस्सन्देह मीर रुस्तम उसी आयु को प्राप्त होता किन्तु अंगरेजों के हाथों उसने जो अन्याय सहन , उन अन्याय ने उसके अन्यथा सवल शरीर को तोड़ डाला । फिर भी सोर रुस्तम की आयु मृत्यु के समय = से अपर थी। "अपने यहाँ के न्यायशासन में", ईस्टधिक लिखता है कि, ‘अमीर दया की ओर अधिक झुकते थे, रक्त अमीरों बहाने विरुद्ध ।'s का शासन के वे अत्यन्त थे हेड्ल ने बम्बई सरकार के नाम अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि सिन्ध में व्यापारियों की इतनी अच्छी तरद्द रक्षा की जाती है और उनके व्यापार को इतनी उत्तेजना दो जाती है कि दूसरे प्रान्तों और दूसरे देशों से व्यापारी लोग जा जा कर इन श्रेमीरों के राज में बसते हैं । सिन्ध का समस्त व्यापार हिन्दुओं के हाथों में था, जिसमें खास कर कराची के अन्दर मोतियों का व्यापार बड़ा लाभ प्रध दायक था 1 ईस्टबिक लिखता है सिन्ध के अमीरों के शासन में हैदराबाद का नगर भ्रयम्स धम सम्पन्न और नाबाद होगया 1x & x और उस समयजब कि भारत के

  • " in the administration of justice the Amirs erred on the side of।

clemency, They were most everse to the sheding of blood, "-Ibid, p 68. - f Mite of Sita, by Dr. J. Burnes, p. 16