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भारत में अंगरेज़ी राज

१२४० भारत में अंगरेजी राज पत्रों में स्वीकार किया है कि वालियर दरवार वड़ी योग्यता और सफलता के साथ राज का समस्त कारवार चला रहा था फिर भी इतिहास लेखक जॉन होप लिखता है ‘चकि लॉर्ड एलेनजू ने इस बात का पक्का इरादा कर लिया था किं पहले सींधिया राज के अधिकारों की अवलेहना की जाय और फिर उस राक्ष की स्वाधीनता छीन ली जाय, इसलिए ज़रूरी तौर पर लॉर्ड एलेन के लिए पहला काम यह था कि महारानी की बाल्यावस्था का बहाना लेकर उसे अलग करखे और उसकी जगह किसी ऐसे मनुष्य को रीजण्ट बना दे, जो खुशी से हर बात में अंगरेज़ सरकार का कहना मान ले । शुरू में लॉर्ड एलेन ने अपना यह इरादा दूसरों पर ज़ाहिर नहीं किया 1 रीजण्ट चुनने का प्रधिकार ग्वालियर दरबार को था । दरबार की कौन्सिल के अन्दर उस समय केवल एक व्यक्ति ऐसा था जो अपनी नौम के हित के विरुद्ध काररवाई करने को रानी हो सकता था । यह व्यक्ति मामा साहब कहलाता था । इसलिए यद्यपि अभी तक यह उसूल चला आता था कि रेज़िडेण्ट रियासत के इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप न करे, फिर भी अब इस उमूल का उद्घन कर साम। साहब के चुने जाने के लिए एलेन ने अपनी शक्ति और कोशिश की ।' ने

  • V As Lord Ellenborough and firnly resolvedthough his resolution

was not then made known, first to disregard the rights of this state, afterwards deprive it of its independence, the preliminary step would neces sarily be to set aside the Maharanee on the ground of her infancy, and to put up in her place as Regent a person who would cheerfully d the bidding of the British Government, The election was in the hands of the Darbar. Now there was only one individual in that council who would lend himsel to carry out an anti-national policy, and he was called the mama Saheb, Accordingly the Resident laid nside the principle of nonintervention which