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भारत में अंगरेज़ी राज

१२२ भारत में अंगरेजी राज शाली नीतिश दरबार में न था 1 अंगरेजी सेना सरहद पर पड़ी हुई थी । इस सब पर दवार के अन्दर अंगरेज़ । अंगरेजों का दूत रेजिडेण्ट की साज़ि । परिणाम यह हुआ ममा साहब कि जिट के रूप में नहीं, किन्तु प्रधान मंत्री "के रूप में राज की बाग एक बार मामा साहब के हाथों में दे दी गई। किन्तु मामा साहब अधिक दिनों तक राज सत्ता अपने हाथों में न रख सका । अंगरेज़ रेज़िडेण्ट के साथ उसकी साज़िशों के के कारण शीघ्र ही सारा दरबार उसके विरुद्ध हो गया 1 महारानी की इच्छा के विरुद्ध रेजिडेराट के के उकसाने पर उसने अपनी एक छे वर्ष की भतीजी का महाराजा जयाजीराव के साथ विवाह कर देना चाहा। करीब पन्द्रह दिन इस पर दरवार के नीति में परामर्श होता रहा। अन्त में २० मई सन् १८४३ को समस्त दवारियों और महारानी ने एक मत से मामा साहब को पदच्युत कर दिया। मामा साहब को महारानी की आज्ञानुसार ग्वालियर छोड़ कर चला जाना पड़ा । २४ मई सन् १८४३ को मामा साहब ग्वालियर से रवाना हुआ। २६ मई को महारानी ने राज के समस्त दबारियाँ f और सरदारों को आज्ञा दी कि आप लोग मिलकर मामासाहब की जगह दूसरा मन्त्री चुनें। दरबार ने दादा ख़ासजीवाला को, सव सम्मति से मन्त्री नियुक्त किया। लॉर्ड एलेनझू ने अब यह एक नया वहामा बढ़ा कि सींधिया एलेन का नया राज और अंगरेज़ी इलाके की मिली हुई सरहद बहाना पर कई जगह विद्रोह खड़े हो रहे हैं और डाके