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अन्य भारतीय नरेशों के साथ एलेनब्रु का व्यवहार

अन्य भारतीय नरेश के साथ एलेनभु का व्यवहार १८७ राजमाता और महाराजा जयाजीराव में दो भी दद से प्रसन्न - थे । यहो सब बातें थीं जिनके कारण दादा ख़ासलीवाहा अंगरेजों की नज़रों में ग्लटक रहा था । लॉर्ड पॉनर्ट ने अपने पूर्वोत पत्र में महारानी विक्टोरिया को सूचना दी कि मैंने वादा ड्ासजीबाला और ग्वालियर दरवार को दमन करने के लिए करीब बारह हजार सेना शोर तोपखाना ग्रागने में जमा कर लिया है, वे और सेना जमा की जा रही है । दादा ख़ासकीबाला पर ग्रब एफ और विचित्र इलजाम लगाया। गया 1 वह यह कि तुमने गीजट महारानी के ख़ासजीवाला पर नाम एलेन७ के किसी एक पत्र को बीच में रोक नूठा इलज़ाम लिया। इस इलजाम की बिना पर लॉर्ड एलेनन ने महारानी और ग्वालियर दरबार को लिखा कि दादा ख़ासको बाला को फ़ौरम् अंगरेजों के हवाले कर दिया जाय । निस्सन्द एक स्वाधीन राज के प्रधान मन्त्री पर इस तरह का इलजाम अत्यन्त लचर और बेमाइने था 1 लॉर्ड प्लेनडु की माँग भी न्याय, नीति और सन्धियाँ संघ के विरुद्ध थी। महारानी गौर ग्वालियर दरबार दोनों ने एक मत से लॉर्ड एलेनषु की इस मांग पर एतराज किया नासजीवाला की ओर लॉर्ड लेनन से उस पर फिर से विचार गिरफ्तारी करने की । प्रार्थना कीएलेन अपनी जिद पर डंटा रहा 1 वह काफ़ी सेना सरध्द पर जमा कर चुका था । स्वयं ग्वालियर के अन्दर करनल सलीमैन की साज़ि जारी महारानी थों