पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१७१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१२५४
भारत में अंगरेज़ी राज

१२४ भारत में अंगरेजी राज. इस्तीफा दे दिया है । इन कठिनाइर्यों का परिणाम यह होता नज़र आाता है कि हम निज़ाम को दस लाख रुपए कर्ज देंगे और उसके बदले में निज़ाम । का समस्त राज यदि सदा के लिए नहीं तो अनेक वर्षों के लिए अंगरेजों के शासन में आा जायगा । यह कर्ज हमें फ़ौज को देने के लिए और कुछ साहूकारों और दूसरे लोगों के कर्ज अदा करने के लिए देना पड़ेगा । मैंने कई बातों पर निज़ाम का फैसला पूछा है । चन्द रोज़ के अन्दर उसका सजा मालूम हो जायगा ।’ । किन्तु लॉर्ड एलेनघु उत्तरीय भारत में इतना फंसा हुआ था कि अपने आरुप शासन काल के अन्दर वह निजाम राज के विषय में अपनी इच्छा पूरी न कर सका 1 एक और छोटी सी रियासत जेतपुर नाम की बुन्देलखण्ड में थी, जिसके स्वतन्त्र अस्तित्व को लॉर्ड एलेनबू जेतपुर की ने समाप्त कर दिया। केवल जिसकी लाठी रियासत उसकी गैस के सिद्धान्त पर २७ नवम्बर सन् १८७२ को लॉर्ड एलेनझू ने जेतपुर के दोनों किलों पर क़ब्ज़ा कर लिया और ७ दिसम्बर को जेतपुर का राज अपने हाथों में लेकर बुन्देलखण्ड के ही एक दूसरे राजा को, जो अंगरेजों के कहने में ) था सौंप दिया। जेतपुर का पहला राजा क़रीब दस साथियों सहित राज छोड़ कर भाग गया। इस काम में मेजर सलीमैन ने एलेन को सबसे अधिक सहायता दी। अपने से पूर्व के अन्य गवरनर जनरलों के समान एलेन भी