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अन्य भारतीय नरेशों के साथ एलेनब्रु का व्यवहार

अन्य भारतीय नरेश के साथ एलेनन का व्यवहार १२५५ , अवध के नवाब से समय समय पर खूब धन चूसता रहा ? १६ सितम्बर सन् १८४२ को ऐलेनषु ने ड्यू अवध से । श्रॉफ बेलिनटन को लिखा मैंने अवध के बादशाह से और दस लाख़ रुपये बतौर की वसूल कर लिए हैं । ” दिल्ली सम्राट की प्राचीन मान मर्यादा को लॉर्ड ऐमहर्ट के समय से लेकर प्रायः : प्रत्येक गचरनर जनरल ने दिल्ली सम्राट की थोड़ा बहुत आघात अवश्य पहुँचाया। अंगरेज़ नजर बन्द शासक इस बात को अच्छी तरह समझते थे कि यदि उस समय किसी एक व्यक्कि के झण्डे के नीचे भारत के हिन्दू और मुसलमान मिलकर फिर से अपनी स्वाधीनता के लिए हाथ पैर मार सकते थे, तो वह व्यक्ति केवल दिल्ली का मुगल सम्राट ही हो सकता था। दिल्ली सम्राट के मान पर वार करना उस समय भारत के राष्ट्रीय मान पर वार करना था । सम्राट बहादुरशाह उस समय दिल्ली के तख़्त पर था । सन् १८४२ तक यह नियम चलताः जाता था कि जो कोई अंगरेज दिल्ली सम्राट से मिलने जाता था वह अपनी पदवी के अनुसार कुछ न कुछ नज़र सम्राट के सामने ‘पेश करता था। इस नियम के अनुसार प्रत्येक गवरनर जनरल मुलाक़ात के समय एक सी पंक मशरफ़ी सम्राट की नज़र किया करता था। लॉर्ड एलेनझू ने सन् १८२ में सम्राट के सामने अंगरेज़ की ओर से इस प्रकार नज़रों का पेश किया जाना कतई बन्द कर दिया ।