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भारत में अंगरेज़ी राज

२२६० भारत में अंगरेज़ी राज छावनियों को, जो दोनों सतलज के ऊपर थीं, उसने खूब मज़बूत कर लिया। सितम्बर सन् १९४५ में उसने ५६ बड़ी बड़ी किश्तियाँ के फ़ोरोज़पुर के निकट सँगाकर जमा कर लीं । लॉर्ड प्लेनवु का विचार नवम्बर सन् १८४६ तक इस सव तैयारी को पूरा कर लेने : का था । हार्डि ने इस मियाद के अन्दर ही तमाम तैयारी पूरी कर ली । अब पंजाब पर हमला करने के लिए केवल एक बहाने की आवश्यकता थी। महाराजा दलीपसिंह के ना देश द्रोही बालिग होने के कारण उसकी माता रानी जिन्द लालसिंह राज का अधिकतर कारवार चलातो थो । कहा। जाता है कि प्रधान मन्त्री राजा तालसिंह महारानो भिन्दाँ का . प्रेमपात्र और लाहौर ट्वार में सब से अधिक प्रभावशालो था। कम्पनी के प्रतिनिधियों ने अपना मतलब पूरा करने के लिए अब लाहौर दरबार के कई मुख्य मुख्य व्यक्तियों को भावालिग दलीप , महारानी जिन्दाँ और अपने देश तीनों के विरुद्ध अपनी ओर मिला लिया । इनमें सव से पहला व्यक्ति प्रधान मंत्री राजा लाल सिंह था। फीरोज़पुर की छावनी में उन दिनों एक कप्तान निकलसन रहता था। इतिहास लेख कनिम लिखता है ‘यह बात उस समय काफ़ी आसन्दिग्ध और प्रसिद्ध थी कि लालसिंह का फीरोजपुर के अंगरेज़ एजेण्ट कप्तान निकलसन के साथ पन्न व्यवहार था, किन्तु निकटसन की अकाल मृत्यु के कारण अब यह पक्की तरह मालूम नहीं