पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१७८

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पहला सिख युद्ध

पहला सिख युद्ध १२६१ हो सकता कि लालसिंह से गया क्या वादे किए गए और उसे क्या क्या

  • आशाएँ दिलाई गई ।”

वहत सम्भध है कि प्रदर्शी और स्वार्थी सासिंह को दलीपसिंह की जगह पक्षाघ की गद्दी का लालच दिया गया हो। जो हो, लालसिइ की विश्वासघातकता के और अधिक सुबूत देने की आवश्यकता नहीं है । दूसरा प्रमुख व्यक्ति, जिसे अंगरेजों ने अपनी ओर फोड़ा, सरदार तेजसिंह नाम का सहारनपुर के जिले देश द्रोही तेजसिंह का रहने वाला एक ब्राह्मण था । यह तेजसिंह नाबालिग महाराजा दलीपसिंह की समस्त सेना का प्रधान सेनापति था। धन के लोभ में जाकर तेजसिंह भी अपने स्वामी और देश दोनों को बेचने के लिए तैयार हो गया । तीसरा ज़बरदस्त देशद्रोहो, जिसने पक्षाघ को विदेशियों के हाथों में सौंप दिया, जम्मू का राजपूत राजा देश ही गुलाब गुलाबसिंह था । वास्तय में राजपूत इतिहास सिंह के अन्दर दूरदर्शी नीति प्रायः कम देखने में आते हैं । १६ वीं सदी के शुरू तक तरह तरह की अय्याशी श्रीर बदचलनी के कारण राजपूतों के चरित्र का पूरी तरह पतन हो

  • '

। It was suficiently certnin and notorious at the time that ial Singh As in eom munication with Captain Nicolson, the British aent at Fernzepar but owing to the untimely death of that oficer, the details of the overture । made and erpectation held out, can not nor be satisfactorily known."-- Hibrory t 12t s, by Captain Cenningham2. 305,