पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१८०

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पहला सिख युद्ध

पहला सिख युद्ध १२६३ निस्सन्देह पजाब के राजनैतिक पतन का मुख्य कारण पक्षाब | के उस समय के राजनैतिक नेताओं और प्रभावशाली फुल्लों के चरित्र का आश्चर्य जनक पतन था। विशेष कर महाराजा रणजीत- सिंह के उत्तराधिकारियों का चरित्र काफी गिर चुका था, जिस पर हम अधिक कहना नहीं चाहते । राजकुल से डंतर कर लालसिंह, तेजसिंह और गुलाबसिंह सिख साम्राज्य के तीन मुख्य स्तम्भ थे और ये तीनों ही स्वार्थ, विश्वासघात और देशद्रोह की मृति सावंत हुए। तैयारी पूरी करने के बाद हडिल के चिस में प्राक्रमण करने का कोई बहाना ढूंढ़ निकालने की चिन्ता उत्पन्न मेजर खिसूट हुई। लुधियाना, पंजाब और ब्रिटिश भारत की सरहद पर था। मेजर प्रॉडफुष्ट लुधियाने में गवरनर जनरल का पजेण्ट था । सिखों को भड़का कर या जिस तरह हो सकेश्रामण का बहाना ढूंढ़ने का काम चॉडफ्रेट को सौंपा गया । एलेन इंगलिस्तान से बैठा हुआा पंजाब के मामले में इतना अधिक शौफ ले रहा था कि ७ मई सन् १८४ को उसने एक पत्र द्वारा लन्ट्रम से ब्रॉडफट को सावधान किया कि6श्राप जहाँ तक हो सके, ( लादौर दरबार के विविध दल में मेल न होने दें।" ब्रॉडफ्ट अपने मालिकों की इच्छा को योग्यता के साथ पूरा करता रहा । सतलज नदी के इस पार कुछ इलाक़ा महाराजा पटियाला इत्यादि कई सिख मरे का था और ये सब नरेश अंगरेज सरकार के संरक्षण में थे । कुछ थोड़ा सा इलाका लाहौर दरबार का था । ८०