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भारत में अंगरेज़ी राज

१२६६ भारत में अंगरेज़ी रा । बितर कर दें; किन्तु x हम अपने उस दोस्त के इलाके पर क़ब्ज़ा जमक लेने का बहाना क्या बताएँगेजिसने कि हमारी विपत्ति के समय में हमें ) अपनी बिगड़ी हुई अवस्था फिर से सुधारने में मदद दी थी ?" निस्सन्देह सिख युद्ध करना न चाहते थे, सिख निष थे, अंगरेज युद्ध के लिए उत्सुक थे, और आगामी युद्ध का एक मात्र कारण कम्पनी की साम्राज्य पिपासा थी। कहा जाता है कि मार्च सन् १८४ के लगभग पहले सिखों ने अपनी सरहद से निकल कर अंगरेजी इलाके पर हमला किया; अर्थात् सिख सवार सेना सततज पार करके हरीपतन के निकट तलवण्डी नामक ग्राम पर आ पहुंची। कम्पनी के अफसरों ने और मेजर ब्रॉडफुट ने इस घटना को सिख सेना का कम्पनी के इलाकें पर हमला करना जाहिर किया है । किन्तु सुप्रसिद्ध इतिहास लेखक कनिद्म से पता चलता है कि वास्तव में यह घटना क्या थी। कनिटुन लिखता है कि सतलज के इस पार कोटकपूरा नाम का एक नगर लाहौर द्वार के राज में था। रन का पहाड़ वहाँ पर नगर की रक्षा के लिए लाहौर दरवार की ओर से कुछ सवार पुलिस रहा करती थी। इस पुलिस 'vel at we had a case for devouring our aty in his adversity, wथे। " are not ready and could not be rear ady until he hot vinds set in and the Satlaj become a torrent, . . . but on what plea could we attack the Punjab it this were the month of October, and ve had our army in readiness ? ई, 4 Self preservation may require the dispersion of this Sikh Army) . . . but . . . how are we to justify the seizure of our friend's territory, who in our adversity assisted us to retrieve our fairs ?"-Harding to Ellenborough, January 231845.