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पहला सिख युद्ध

पहला सिख युद्ध १२६8 अंगरेजों को प्रसन्न करने के लिए रणजीतसिंह ने अपने देशवासियों

7 के साथ और आपत्ति में पड़े हुए जसबन्तराव होलकर के साथ

विश्वासघात कियाऔर वह भी ऐसे अवसर पर जब कि यदि रणजीतसिह होलकर का साथ दे जाता तो बहुत सम्भव बल्कि क़रीब क़ीव निश्चित है कि अंगरेजी साम्राज्य की जड़ें भारत से उसी समय उखड़ गई होतीं 1 % दलीपसिंह के गद्दी पर बैठने के समय गवरनर जनरल ने उसे रणजीतसिंह का म्याय उत्तराधिकारी स्वीकार कर लिया था और वादा किया था कि अंगरेज किसी दूसरे हक़दार का पक्षन न लेंगे । लेकिन रणजीत- सिंह के साम्राज्य को नष्ट करने, इलीपसिंह को उसके पैतृक राज से बश्चित रखने और पंजाब को अंगरेज़ी साम्राज्य में मिलाने के लिए इस समय साजिश का एक विशाल जाल पूरा जा रहा था। नवम्बर सन् १८४५ का महीना निकट श्रा रहा था लॉर्ड एलेन के अनुमान के अनुसार अंगरेजों की सिख सेना को तैयारी पूरी हो चुकी थी 1 अक्तूबर सन् १८४५ भड़काने के प्रयत्न । में सर हेनरी हार्ड्सि ने कलकते से पताछ की । ओर प्रस्थान किया 1 सरहड़ से ऊपर अंगरेज़ी फौजों के जमा होने और गबरनर जनरल के उस चोर प्रस्थान करने से सिख पूरी तरह समझ गए कि अंगरेजों का इरादा क्या है। अभी तक भी लाहौर ट्रधार शान्ति और धैर्य के साथ सब बातों को घरद्घाप्त कर रहा था। इसी कारण अंगरे को हमला करने का कोई ज़ाहिश - - - - - - - -

  • Caryr of Major brot/4, . 268.