पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१८८

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पहला सिख युद्ध

पहला सिख युद्ध १२७१ क जाहिर है कि सीधे औौरबीर सिग्ख़ सिपाहियों के साथ कितनी नीच चाल चली गई । जिन लोगों को वे अपने वीर सिग्न . नेता समझ रहे थे वे ही उनके सघनान के लिए सिपाहियों के साथ नीच चालें उत्सुक थे और उसकी तदबीए कर रहे थे । कान निक्सन ने मेजर ध्रॉडफट के नाम २३ नवम्बर सन् १८४५ के एक पत्र में साफ लिखा है कि राजा लालसिंह ने अंगरेजों की इच्छा के अनुसार सि व सेना को भड़का कर उससे अंगरेज़ी सरहद पर हमला करवाया। निस्सन्देह उस समय के लाल ग़रीब सिले सिपाहियों की सच्ची वीरता, उनके बढ़े हुए धामिक उत्साह और उनक ग्रात्मोत्सर्ग के मुकाबले में सिख नेताओं के कपट, उनके नीच स्वार्थ, उनके देशद्रोह और उनके विश्वासघात का दृश्य अत्यन्त दुखकर है। सारांश यह कि ठीक नवम्बर सन् १८४५ के मध्य में सतरतसिंह ही के अधीन सिख सेना तलहर से चल पड़ी । पक्षाघ हड़पने का " इस सेना ने सतलज नदी को पार किया और बहाना अंगरेज़ को पवघ हड़पने का बहाना हाथ माया । वास्तव में सारा नाटक पहले से निश्चित था । - हैदरौली, खैौलतराब नृधिया और अन्य भारतीय मरेश के समान महाराजा रणजीतसिंह ने भी अनेक रणजीतसिंह के यूरोपियन अफ़सरों को अपनी सेना में नौकर यूरोपियन नौकर रख रक्खा था । ये यूरोपियन अफ़सर सट्ट के समय अपने हिन्दोस्तामी मालिकों की ग्रोर प्रायः कभी भी नम