पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१९०

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पहला सिख युद्ध

पहला सिख युद्ध ई। १२७३. पर हमला करता । किन्तु बह जिलों को उलटा मुदकी की ओर बढ़ा ले गया । १८ दिसम्र न् १८४५ को मुटकी मुदकी का संग्राम में दोनों छोर को सेनाओं के बीच घमासान युद्ध हुआ । अंगरेज इतिहास लेखकों का कथन है कि जिस भयदर वोरता के साथ सिखों ने अंगरेजी सेना का मुकाबला किया, और जितनी जबरदस्त हानि ग्रंगरेजों को सहनी पड़ी, उससे इसमें कुछ भी सन्देह नहीं हो सकता कि यदि सिख सेना के साथ विश्वासघात न किया जाता तो मुदकी के ऐतिहासिक मैदान में अंगरेजी सेना का एक सिपाही भी जिन्दा न बचता । किन्तु राजा लालसिंहू औौर तेजसिंह की कोशिशों से सिद्ध सिपाहियों को छरें की जगह पर नौर बारूद की जगह रंगा हुना घाटा वोरां में भर कर दे । दिया गया 1 स्वभावतमुदकी का मैदान अंगरेजों के हाथों में रहा । मुदकी की लड़ाई के बाद सिख सेना बहाँ से हट कर फीरोज शहर पहुँची। फीरोजशहर में फिर पक जघर फीरोज़शहर का का दस्त संग्राम हुआ, जिसमें एक बार विजय सिखों की रही। कहा जाता है कि फीरोजशाहर में अंगरेजों को जितनी भारी हानि सहनी पड़ी उतनी भारत के. किसी भी दूसरे मैदान में नहीं सहनी पड़ी थी । स्वयं गयरनर जनरल हार्डिं, जो अपनी सेना के साथ था, इतना घबरा गया कि उस दिन रात को उसने अंगरेज अफसरों और उनके बाल बच्चों को पीछे हटा लेने का पूरा प्रबन्ध कर लिया। शेष अंगरेज संगम