पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२०

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भारत में अंगरेज़ी राज छत्तीसवाँ अध्याय तक हो । भारतीय शिक्षा का सर्वनाश 3 अंगरेजों के आगमन से पहले सार्वजनिक शिक्षा और विद्या प्रचार की दृष्टि से भारत संसार के अग्रतम देशों अंगरेनों से पहले की श्रेणी में गिना जाता था। आज से केवल भारत में शिक्षा गा" " सवा सौ वर्ष पहले यूरोप के किसी भी देश में की अवस्था शिक्षा का प्रचार इतना अधिक न था जितना भारतवर्ष में, औरम कहीं भी . प्रतिशत आबादी के हिसाब से पढे लिखों की संख्या इतनी अधिक थी। उन दिनों यहां जन सामान्य को शिक्षा देने के लिए मुख्यकर चार प्रकार की संस्थाएँ थीं । ७१