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भारत में अंगरेज़ी राज

१२७० भारत में अंगरेजी राज से मेरा इस्तीफ़ा स्बोकार किया जाये । जॉन लॉरेन्स इस समय लाहौर का रेजिडएट था । किन्तु अंगरेज अभी तक मुलतान का y शासन मूलराज के हाथों से लेने के लिए तैयार न हो पाए थे । दीवान मूलराज को समझा बुझा कर फिर मुलतान वापस कर दिया गया । इसके बाद सर फ्रेडरिक करी रेजिडेण्ट नियुक्त होकर लाहौर पहुँचा । उसने मूलराज को और अधिक दि मूलराज की .करना शुरू कर दिया । वास्तव में मुलतान प्रान्त बह्यूस्तगी का धन वैभव उस समय अत्यन्त बढ़ा हुआ था। ‘पजाब के समस्त प्रान्तों में अंगरेज के सव से अधिक उसी पर दाँत थे । रेजिडेण्ट की अब जिस तरह हो सके, दीवान मूलराज से झगड़ा मोल लेने के लिए कृतनिश्चय था । ये सब बातें करी और अन्य अंगरेजों के उस समय के पत्र व्यवहार से स्पष्ट हैं । करी ने लाहौर दरबार से दोबान मूलराज पर इस्तीफ़ा देने के लिए फिर से ज़ोर दिया । इस बार उसका इस्तीफा मंजूर कर लिया गया । काहनसिंह मान नामक एक मनुष्य तीस हज़ार रुपए सांलाना तनखाह पर मूलराज की जगह मुलतान का शासक नियुक्त किया गया । यह भी तय कर दिया गया कि दो अंगरेज़ अफसर पक पगन्यू और दूसरा पण्डरसन, कांहनसिंह के साथ मुलतान जांचें और इन दोनों की सलाह से काहनसिंह शासन का समस्त कार्य करे । काहन सिंहपगन्यू और एण्डरसन कुछ सेना सहित १८ अप्रैल