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भारत में अंगरेज़ी राज

११२० भारत में अंगरेज़ी राज ( १ )-असंख्य ब्राह्मण आचार्य अपने अपने घरों पर अपने शिष्यों को शिक्षा देते थे । (२) अनेक मुख्य मुख्य नगरों में उच्च संस्कृत साहित्य की शिक्षा के लिए टोल' था विद्यापीठ क़ायम थीं । (३ )-उ और फ़ारसी की शिक्षा के लिए जगह जगह मकतब और मदरसे थे, जिनमें लाखों हिन्दू और मुसलमान बालक शिक्षा पाते थे । ( ४ )—इन सब के अतिरिक्त देश के प्रत्येक छोटे से छोटें ग्राम में ग्राम के समस्त बालकों की शिक्षा के लिए कम से कम एक पाठशाला होती थी। जिस समय तक कि ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने श्राकर भारत की सहस्त्रों वर्षों की पुरानी ग्राम पंचायतों को नष्ट नहीं कर डाला उस समय तक ग्राम के समस्त बच्चों की शिक्षा का प्रबन्ध करना प्रत्येक ग्राम पंचायत अपना आवश्यक कर्तव्य समझती थी और सदैव उसका पालन करती थी। इइलिस्तान की पार्लि मेण्ट के प्रसिद्ध सदस्य केर हार्डी ने अपनी पुस्तक ‘इण्डिया' में लिखा है "मैच समूलर ने, सरकारी उल्लेखों के आधार पर और एक मिशनरी रिपोर्ट के आधार पर जो बन्ना पर अंगरेज़ों का क़ब्ज़ा होने से पहले वहाँ। की शि झा की अवस्था के सम्बन्ध में लिखी गई थी, लिखा है कि उस समय बवाल में ८०,००० देशी पाठशालाएँ थीं, अर्थात् सूबे की आबादी के हर ! चार सौ मनुष्यों पीछे एक पाठशाला मौजूद थी । इतिहास लेखक सडलो आपने 'ब्रिटिश भारत के इतिहास' में लिखता है कि ‘प्रत्येक ऐसे हिन्दू गाँव में, जिसका कि पुराना संगठन अभी तक कायम है, मुझे विश्वास है। कि आम तौर पर सब बचे लिखना पढ़ना और हिसाब करना जानते हैं;