पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२११

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१२४२ भारत में अंगरेजी राज श्रन्याय। चोर रहे । पन्यू और एण्डरसन दोनों उस दिन के संग्राम में मार डाले गए । काहनसिंह जख़्मी होकर कैद कर लिया गया। निस्सन्देह इस दुर्घटना का मुख्य कारण था मुलतानियों की स्वाधीनता पर हमला और उनमें से सहस्त्र निरपराओं की जीविका का छीन लिया जाना । पखाव को हड़प जाने के लिए अभी और अधिक सद्भीम बहानों की जरूरत थी 1 लाहौर में बैठे बैठे रेज़िडेण्ट महारानी सिन्द करी ने महाराज दलोपसिंह को माता, महारानी कोर के साथ विचित्र बिन्दाँ कर पर यह इलज़ाम लगाया कि मुत्ततान के विद्रोह में जिन्दाँ कर का हाथ था । रेजिडेण्ट करी ने स्वयं अपने पत्रों में स्वीकार किया है कि महारानी के विरुद्ध उसके पास कोई सुबूत न था 1 न कोई तहक़ीक़ात की गई और म यह मामला लाहौर दवार या कौन्सिल के सामने तक पेश किया गया । केवल अंगरेज रेजिडेण्ट के हुकुम से १५ मई सन् १९४८ को महाराजा रणजीतसिंह की विधवा महारानी और महाराजा दलीपसिंह की माता, मिन्दाँ कर को शेखूपुरे के महत से कैद करके तुरन्त बनारस भेज दिया गया। हुकुम दे दिया गया कि महारानी फिन्दाँ कर बिना अपने अंगरेज़ पहटारकी इजाज़त । के न किसी से पत्र व्यवहार करे और न किसी से किसी तरह का सम्बन्ध रखे ! समस्त पाच और विशेष कर समस्त सिख जाति महारानी फिन्दाँ कर को अपनी माता के समान समझती थी। विधवा