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भारत में अंगरेज़ी राज

१२९४ भारत में अंगरेज़ी राज अमीर यहाँ तक कि अफ़ग़ानिस्तान के अमीर दोस्तमोहम्मद ख़ाँ की सहानुभूति भी इस समय पजाबियों के साथ थी । दोस्तमोहम्मद खाँ ने कप्तान एवष्ट के नाम दोस्तमोहम्मद एक पत्र में लिखा की सहानुभूति इसमें कोई सन्देल नहीं हो सकता कि सिखों में असन्तोष दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है कुछ को नौकरी से बरख़ास्त कर दिया गया है, कुछ को जलावतन करके हिन्दोस्तान भेज दिया गया है, ख़ास कर महाराजा दलीपसिंह को माँ को कैद कर लिया गया है और उनके साथ बेजा सलूक किया गया है । तमाम मज़हबों के लोग इस तरह के सलूक को बेजा समझते हैं, और छोटे और बड़े दोनों इसकी निस्वत मर जाने को बेहतर समझते हैं, इस्यादि ।” निरसन्देह महारानी सिन्हाँ कर के साथ अंगरेजों का आस्या चार दूसरे सिख युद्ध के कारणों में से एक सिख युद्ध का मुख्य कारण था । मुख्य कारण समस्त सिख साम्राज्य के अन्दर इस समय दो सरदार सब से अधिक दव और स्वतन्त्रताप्रिय मालूम होते थे। एक मुलतान का दीवान मूलराज और दूसरा हजारा प्रान्त का शासक सरदार चतरसिंह अटारीवाला ने जिस तरह इस समय दीवान मूलराज को दिक़ किया जा रहा था, उसी तरह बूढ़े सरदार चतरसिंह अटारी वाले को भी दिक्क किया जा - . रहा था। हज़ारा का प्रान्त पहले काश्मीर में शामिल था और राजा