पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२१४

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दूसरा सिख युद्ध

दूसरा सिग्न शुद्ध १२४५ गुलाबसिंह को दिया जा चुका था । वाद में कुछ औौर इलाके के बदले यह प्रान्त राजा गुलाबसिंह से लेकर चतरसिंह आटारी महाराजा दलीपसिंह के अधीन कर दिया वास्ता गया 1 लाहौर कीन्सिल के प्रसिद्ध सदस्य राक्षा शेरसिंह का पिता सरदार चतरसिंह अटारी बाला इस प्रान्त का नाजिम नियुक्त किया गया। सरदार चतरसिंह उस समय पक्षाब का बहुत सम्माननीय व्यक्ति था। सरदारचतरसिंह की बेटी की सगाई महाराजा दलीपसिद के साथ हो चुकी थी। जुलाई सन् १८८८ में दलीपसिंह के विवाह की बातचीत होने लगी । रेजिडेण्ट की विवाह में ने बिना किसी कारण के चतरहिंद को लिग्न हस्तक्षेप दिया कि–विना रेज़िडेण्ट की रज़ामन्ट्री मंजूरी के" विवाह नहीं किया जा सकता ! रेज़िडेण्ट की ओर से कप्तान ऐबट उस समय खरार चतरसिंह को सलाह देने के लिए हज़ारा में रहता था। कमान ऐबट ने सरदार अतरसिंद्ध के साथ इतना बुरा व्यवहार करना शुरू कर दिया कि जिसे कोई भी सम्माननीय मनुष्य सहन नहीं कर सकता। स्वयं रेजिडेण्ट की ईए ने प्रपने पत्रों में कप्तान ऐबट के अनुचित व्यवहार और सरदार चतरसिंह के निर्दोष होने को स्वीकार किया है । कप्तान ऐबट की शरारतें औौर साज़ि हद को पहुँच गई। हजारा प्रान्त में अधिकतर ग्राबादी मुसलमानों की थी। ये सब लोग बीर और सशरन थे। कप्तान ऐबट ने उनमें खूब धन खर्च =२