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दूसरा सिख युद्ध

दूसरा सिख युद्ध १२४४ दमन करने के लिए भेजा 1 रेज़िडेण्ट की याहू से मर पडबड़ेस शेरसिंह के साथ हो लिया । मेजर एडवर्डस ने लाहौर दरबार की। सरहद के अनेक मुसलमानों को हिन्दुओं और मजबूरी सिखों के ख़िलाफ़ भड़काकर उनकी एक नई सेना तैयार की। नबाब बहावलपुर की सेना भी इस समय एडवस के साथ ना मिली। मार्ग में मेजर पड़बड्स ने सरदार, फतह तथाना को एक पत्र लिखा कि आप आपने ग्रामियों को जमा करके डेराग़ाज़ीख़ाँ और बन् के सिखों को लूट लीजिए और उन्हें मार . डालिए। फ़तहखाँ और मूलराज का पहले से कुछ झगड़ा चला आता था 1 उसने पडवर्डस की बात मान ली । एडबल न फ़तहाँ फो डेराग़ाज़ी और बन्नू का शासक नियुक्त कर दिया। किन्तु ज्योंही फ़तहख़ाँ ने सिखों को लूटने के लिए श्रादमी जमा किएसिखों ने उसे मार डाला । दीवान मूलरा की सेना के साथ पडबर्ड और शेर सिंह की सेनाओं के कई संग्राम हुए, जिन विस्तार में मूलर T के साथ पड़ने की आवश्यकता नहीं है । किनेगी (१) और संग्राम सद्दूसम (१) की लड़ाइयों में मालूम होता है। ' एडवर्डस की जीत रही । इसके पश्चात् मुलतान के मोहासरे का समय आया 1 एडवर्डस ने इस मोहसरे के लिए रेज़िडेराट की से सहायता चाही । करी ने सहायता भेजने से इनकार कर दिया । इस बीच बहावलपुर और पक्षाघ से हज़ारों हिन्दू, मुसलमान और सिख श्राकर मूलरा के रडे के नीचे जमा दोने लगे । अन्त