पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१३०३
दूसरा सिख युद्ध

दूसरा सिख युद्ध '१० भड़काना। इस कमी को पूरा करने के लिए अंगरेजों ने इस बार पक्षाघ औौर सरषद के मुसलमानों को सिखों के विरुद्ध मुसलमानों को भड़काया । सिखों और मुसलमान के पुराने आपसी झगड़ों के अनेक झूठे और सचे किस्से उनके सामने रक्खे गए । फ़क़ीर अज़ीज़ुद्दीन महाराजा रणजीतसिंह का पक अत्यन्त विश्वस्त सन्त्री था । अज़ीज़ुद्दीन का भाई नूरुद्दीम इस समय लाहौर की रीजेन्सी कोन्सिल का एक सदस्य था। यद नूरुद्दीन अंगरेजों की बातों में जाकर उनसे मिल गया । नूरुद्दीन का तड़का शम्सुद्दीन गोविन्दगढ़ के किले का थानेदार था । उसने सिख राज के साथ विश्वासघात करके दूसरे सिख युद्ध में गोबिन्दगढ़ का किया अंगरेजों के हवाले कर दिया, औौर वह भी ऐसे सट के समय जब कि कहा जाता है कि यदि शमशुद्दीन अंगरेजों से न मिल जाता तो सम्भव हैअंगरेजों के लिए परिणाम अत्यन्त मानकर होता ।% कहा जाता है कि अधिकतर ऐसे लोगों ही की सहायता से अंगरेज़ ने दूसरे सिख युद्ध में सिखों पर विजय प्राप्त की। इस युद्ध के अनेक संग्राओं को विस्तार से वर्णन करने की श्रावश्यकता नहीं है। अक्तूबर सन १८८ में, t शेरसिंह की जब कि मूलराज है महीने तक सफलता के वीरता साथ अंगरेज़ों का मुक़ाबला कर चुका था. something extraordinary may happen to prkent, which 1can net vaue ar at present. "-Jhid, vol , iv, , 125. • 718 anjak Cat'), (Ner Edition ) 1890vol. i, p. 1100,