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१३०४
भारत में अंगरेज़ी राज

१३०४ भारत में अंगरेज़ी राज पड़ाव के सिख सरदारों ने चतरसिंह के झण्डे के नीचे जमा होकर अपने देश को विदेशियों के पते से छुड़ाने का प्रयल प्रारम्भ ने किया। अंगरेज़ पहले ही अपनी फ़ौजें चारों ओर जमा कर चुके थे । मुलतान का फिर से मोहासरा शुरू किया गया 1 उसी पुरानी कूटनीति से काम लिया गया । सबसे मशहूर लड़ाइयाँ रामनगर, चिलियानबाला और गुजरात की लड़ाइयाँ थीं । राजा शेरसिंह ने अपनी वीरता और युद्ध कौशल से अंगरेज़ कमाण्डरइन-चीफ़ लॉड गफ़ के छक्के छुड़ा दिए। जनवरी सन् १९८४8 में चिलियानवाला के मैदान में सिख सेना की संख्या अंगरेजी सेना से कम थी, फिर चिलियानवाता भी अंगरेजों को बड़ी ज़िरहत के साथ जबरं का संग्राम वस्त हार खानी पड़ी। अंगरेजों के २३,००० से ऊपर आदमी चिलियानबाला के मैदान में घायल हुए और मारे गए । २६ अंगरेज़ अफ़सर मारे गए और ६६ घायल हुए । कम्पनी

  • की कई वैल रेजिमेरटें कार हो गई । उनके झण्डे तक उनके हाथों

से लोन लिए गए 1 किन्तु चिलियानवाला की विजय हिन्दोस्तान की भूमि पर सिख जाति की अन्तिम विजय थी। अनेक अंगरेज़ इतिहास लेखकों ने इस युद्ध के समय की सिखों की वीरता और उनके ग्रुद्ध कौशल की खुले शर्तों में प्रशंसा की है और इन दोनों गुणों में उन्हें अंगरेजी सेना से कहीं बढ़ा हुआ स्वीकार किया है । चिलियानवाला के बाद ही न जाने क्यों और कैसे शेरसिंह और अन्य सिख सरदारों में बहुत बड़ा मतभेद उत्पन्न होगया। शेरसिंह