पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२३६

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दूसरा बरमा युद्ध

दूसरा वरमा युद्ध ११५ जा सकता है, या जब कमाण्डर लैम्बर्ट को सुविधा हो । पडबई फ के जवानी कहने पर नए वरमी शासक ने अंगरेजों की श्रीर कई छोटी छोटी शिकायतें भी हाथ के हाथ दूर कर दीं। नगले दिन कमाण्डर लैम्बर्ट ने बजाय एक पत्र भेजने के पांच अंगरेज फ़ौजी अफसरों का एक डेपुटेशन ठीक युद्ध का काफ़ी दोपहर के समय रंगून के नए शासक के पास बहाना भेजा । बरमी शासक से बातचीत केबल एफ पत्र भेजने की हुई थी । वह उस समय डेपुटेशन से मुलाक़ात करने के लिये तैयार न था । फिर भी उसने उन्हें मुलाक़ात के लिए छूता लिया। बाद में कमाण्डर वर्ल्ड से डलहौजी को यह शिकाग्रत लिख कर भेजी कि -“डेपुटेशन के लोगों को पूरा पाय घटा धूप मैं इम्तजार करना पड़ा " , बरमा के साथ युद्ध छेड़ने के लिए काफी बहाना मिल गया ! कमाण्डर लैम्बर्ट ने रंगून के नए शासक से पृथ किसी तरह का जवाब तलब करने की ज़रूरत महसूस न की; यरमी जहाज़ा की गौर न बरमा दरबार को किसी तरह की कोई गिरफ़्तारी सूचना दी गई । लैम्बर्ट ने तुरन्त रंगून के समस्त अंगरेज बाशिन्दों को सूचना दी कि श्राप लोग अपनी स्त्रियों और बच्चों समेत आज शाम तक नगर छोड़कर अंगरेज़ी जहाज़ों पर श्रा जार्थी 1 घरमा के महाराजा का एक जहाज़ बन्दरगाह । में कुछ दूर ऊपर खड़ा हुआ था । लैम्बर्ट ने उसी दिन शाम को इस घमी जहाज को लिया है उसी दिन लैम्बर्ट ने अंगरेज़ सरकार की पकड़