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१३१८
भारत में अंगरेज़ी राज

१३१८ भारत में अंगरेजी राज मामले की खबर पाते ही एक और जबरदस्त मा वरमा की और रवाना की और पिछली माँगों के अतिरिक्त इस बार दस लाख रुपए ! नकद बतौर हरजाने के बरमा द्वार से तलब किए। कॉवडेन ने उस पत्र को जो इस समय डलहौजी ने बरमा दरबार के नाम भेजा 'राजनीति, धर्म और तर्क तीनों के विरुद्ध’’ बतलाया है । ठीक उस समय जिस समय कि लॉर्ड डलहौजी रंगून के लिए और अधिक सेना रवाना कर रहा था, बरमा के बम महाराजा बौद्ध महाराज का एक अत्यन्त शान्तनम्र और का न पन। मित्रता सूचक पत्रलैम्बर्ग के ७ जनवरी के पत्र के उत्तर में, लॉर्ड डलहौजी के नाम रंगून से कलकसा जा रहा , , था । किन्तु डलहौजी को इस पत्र का इन्तजार कहाँ हो सकता

था । ११ अप्रैल सन् १८५२ को ईस्टर रविवार के दिन अंगरेजी युद्ध

के जहाजों ने रंगून और डाला के तटों के बराबर बराबर गोलेबारी शुरू कर दी। दूसरे वरमा युद्ध की अनेक लड़ाइयों के विस्तार में पड़ने को आवश्यकता नहीं है । वरमी जाति इस विध्वंस और युद्ध के लिए बिलकुल तैयार न थी। कॉवडेन बरलेआम लिखता है

  • 'An unstatesman like, immoral, and allogical production."-Ibid,

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