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भारतीय शिक्षा का सर्वनाश

भारतीय शिक्षा का सर्वनाश ११२३ ४ आज कल की पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली में जिस चीज़ को म्यूचुअल ट्यूशन’ कहा जाता है वह पश्चिम के देशों ने भारत ही से सीखी थी। भारत के जिस जिस प्रान्त में कम्पनी का शासन जमता गया उस उस प्रान्त से ही यह सहस्त्रों घर्ष की पुरानी कम्पनी के शासन शिक्षा प्रणाली सदा के लिए मिटती गई । भारतीय चली में शिक्षा कम्पनी के शासन से पहले भारत में शिक्षा की का इस अवस्था और कम्पनी का पदार्पण होते ही एक सिरे से उस शिक्षा के सर्वनाश, दोनों का कुछ अनुमान वेलारी जिले क अंगरल कलेक्टर ए० ड० कैम्पबेल की सन् १८२३ की एक रिपोर्ट से किया जा सकता है । कैम्पवेल लिखता है जिस व्यवस्था के अनुसार भारत की पाठशालाओं में बच्चों को लिखना सिखाया जाता है ऑौर जिस ढन से कि चे दर्जे के विद्यार्थी नीचे दर्जे क विद्यार्थियों को शिक्षा देते , पर साथ साथ अपना ज्ञान भी पका करते रहते हैं, यह समस्त प्रणाली निस्सन्देह प्रशंसनीय है, और इलिस्तान में उसका जो अनुसरण किया गया है उसके सर्वथा योग्य है । आगे चल कर कम्पनी के शासन में भारतीय शिक्षा की आय नति और उसके कारणों को बयान करते हुए कैम्पबेल लिखता है ‘इस समय असंख्य मनुष्य ऐसे हैं जो अपने बच्चों को इस शिक्षा का लाभ नहीं पहुंचा सकते, ” “ हैं मुझे कहते हुए दुख होता है कि इसका ted to have withstood the shock of revolutions . . . " Letter from the Court of Directors to the Govermor-General in council ot Bengal dated 3rd une. 1814,