पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१३२४
भारत में अंगरेज़ी राज

१३२४ भारत में अंगरेज़ी राज कम्पनी का हल हो जाता था और कम्पनी तुरन्त उस पर कब्जा कर लेती थी। पुत्र न होने की सूरत में अपने किसी नज़दीकी रिश्तेदार को गोद लेने का हक़ प्रत्येक भारतवासी को धर्मशास्त्रों के अनुसार सदा से प्राप्त रहा है। पति के पुत्रहीन मरने पर उसकी विधवा को गोद ले लेने का हक होता है । यह हक़ और गोद लेने की प्रथा अत्यन्त प्राचीन समय से भारत में चली आती है। किन्तु पूत “लैप्स" । की नीति के अनुसार किसी भी भारतीय नरेश को, जिसने दुर्भाग्यवश एक बार अंगरेजों के साथ मित्रता कर ली हो, या उसकी विधवा महारानी को गोद लेने का कोई हक़ न था। गोद लिए हुए पुत्र को गद्दी का अधिकारी न माना जाता था, और न सिवाय श्राइम पुत्र के किसी भाई, भतीजे, चचापुत्री आदिक को गद्दी का हकदार माना जाता था 1 इस विचित्र नीति पर अमल करके लॉर्ड डलहौजी ने इस रियासतों के साथ कम्पनी की पहली समस्त सन्धियों और अहदमों को उठा कर ताक पर रख दिया। यह नीति वास्तव में सन् १३४ से प्रारम्भ हुई। उस वर्ष कम्पनी के डाइरेक्टरों ने भारत सरकार को लिखा ‘जब कभी किसी गोद लेने की क्रिया को मंजूर करना या न करना ॥ आपके हाों में हो, आपको बहुत ही कम कभी मंजूरी देनी चाहिए, आम- तौर पर नहीं, और जब कभी आप मंजूरी दें तो वह आपका विशेष अनुग्रह समका जाना चाहिए ।

  • ' Whenever it is optional with you to give or to withold your