पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२४८

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१३२७
डलहौज़ी की भू-पिपासा

डलहौजी की भूपिपासा १३२७ , के गबरनर सर रॉबर्ट नॉएट ने फैसला किया कि प्रतापसिंह फो

  • कुचल दिया जाय 1 फ़ौरन् एक पंड्यन्त्र रचा गया । निरपराध

प्रतापसिंह को द करके बनारस भेज दिया गया और उसके भाई को उसकी जगह सतारा के तह्रत पर बैठा दिया गया। सन् १८४८ के फ़रीब दोनों भाइयों की मृत्यु होगई। दोनों में से किसी के भी यात्म पुत्र न था । किन्तु दोनों प्रतापसिंह की के दत्तक पुत्र मौजूद थे । २८ दिसम्बर सन्न स्यु पर हैॉयहास १९४७ को राजा प्रतापसिंह की मृत्यु पर श्रलो चना करते हुए इन्हलिस्तान के भारत मन्त्री हॉवहाउस ने लॉर्ड डलहौज़ी को एक पत्र में लिखा "सतारा के पदच्युत राजा को स्यु निसन्देह य% ही श्री अग्रसर पर हुई है । मैंने सुना है कि वर्तमान राजा का स्वास्थ्य भी बहुत ख़राय है; और यह कदापि असम्भव नहीं है कि हमें शीघ्र ही उसके राजा के भाग्य का फ़ैसला करना पड़े । मेरी यह निश्चित राय है कि वर्तमान राजा के पुत्र- विहीन मरने पर दत्तक पुत्र को स्वीकार न किया जाय और इस छोटे से रात को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया जाय । यदि यह प्रश्न मेरे सन्नी रहते हुए तय हो गया तो मैं इस कार्य को पूरा करने में कोई कसर उठा म कखग 10 • " The leath of the Exeaja of Shthra certainly conhta at a very opportune monent, The reging Raja is, d hear, in verp bad heatth, anut it is not at al impossible re may soon have to decide uot the fan ot his territory t have a very strong opinion that on the death of the preg it price without n Son, and no adoption hould be permittedhis pecty principality should be mered in the British mpire and t te question ix ८४ t