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डलहौज़ी की भू-पिपासा

डलहौज़ी की भू-पिपासा १३ लॉर्ड डलहौज़ी ने सन् १६ की सन्धि की अवहेलना करने हुए २८ जनवरी सन १८५४ को यह एलान कर नागपुर का। दिया कि नागपुर के ततृत का कोई हक़दार न अपहण होने के कारण नागपुर का समस्त गज अंगरेज़ कम्पनी के कब्ज़े में नागया। - है। मेजर ईशन्स बेल ने इस ग्रन्याय को बयान करते हुए लिग्ना है कि केवल १० वर्ष पूर्व अर्थात् सन् १८८८ में अंगरे शासकों नागपुर के रेजिडेण्ट के एक पत्र के उत्तर में के उसूलों में परियत न । गबरनर जनरल ने यह साफ़ स्वीकार किया था। कि पुत्र न होने की सूरत में राजा दो अंगर राजा की मृत्यु हो जाने पर उसके कुटुम्बियों को गोद लेने का पूर्ण अधिकार है । किन्तु केवल दस वर्ष के अन्दर अंगरे शासकों के उसूल बदल गए थे । रघोजी के कुटुम्बियों और विधवा रानियों से किसी तरह की राय नहीं ली गई और न उनसे कोई पूछ ताछ की गई । उन्हें यह भी नहीं बतलाया गया कि किन कारणों से अंगरेज़ सरकार ने उनके और उनके कुल के पैतृक अधिकारों का क्षण भर के अन्दर श्रन्त कर दिया। उन्हें केवल यद सूचना दे दी गई ने ‘कि तुम्हारा रा अब अंगरेजी साम्राज्य में मिला लिया गया। - २८ जनवरी सन् १८५४ के प्लान में लॉर्ड डलहौज़ी ने पद से निर्लज्ज झूठ तक लिख दिया कि नियाँ दसफ यशवन्तराय को ए . गद्दी देना पसन्द नहीं करतीं और यशवन्तराय को गद्दी न देना t अंगरेज़ सरकार का रानियों के ऊपर उपकार करना है !"