पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१३३१
डलहौज़ी की भू-पिपासा

डलहौजी की पिपासा १३३१ गया । रानियों के घर, जवाहरात और सोन चांदी के जड़ाऊ +. बर्तन और अन्य कीमती सामान फलकल ले जाकर नीलाम किया गया । नागपुर में करीब ६०० हाथीघोड़ेऊंट और बैल १: ,००० रुपए में नीलाम हुए1 ग्रह नीलाम आधिकतर ४ सितम्बर को सुना। कलकत्ते की ‘हैमिल्टन एण्ड कम्पनी' नामक एक अंगरेज़ कम्पनी को इस नीलाम का ठेका दिया गया 1 एक एक जोड़ी बैलों को गौर शादो घोड़ों की पाँच पाँच रुपए में बेंची गई । हाथो मी रुपए में श्रीर करोड़ों के जवाहरात लात्रों और सहाँ में नीलाम कर दिए गए। नागपुर का राजकुल क्षत्रपति शिवाजी के यंत्र से था 1 एसी कुल में उस समय, जब कि माना फड़नवीस पाप का प्रायश्चित और हैदरअली जैसे देशभक्त भी तिथा विदेशियों से भारत को स्वाधीन रखेने के विकट प्रयत कर रहे थे, विदेशियों का साथ देकर कम्पनी के भारतीय साम्राज्य के कोमल श्र को नष्ट होने से बचाया था। इसी पाप के प्रायन्त्रित रुप ए पुल फ के एक नरेश को निर्वासित होकर अकेले देश देश और जम्हूत बनत । घूमना पड़ा और दूसरे के कुटुम्बियों, रानियों पर उतराधिकारी ' को इस प्रकार ज़िरलत सहनी पड़ी। - एक इतिहास लेखक लिखता है कि नागपुर राक्ष के प्रन्दर रहें अधिक और उत्तम उत्पन्न होती थी 1 इम्तिम्तम , नागपुर की रुई को अपनी बढ़ती हुई कपड़े की कारीगरी के लिए है रुई की आवश्यकता थो। इसीलिए नागपुर पर कब्ज़ा करना उस समय आवश्यक था।