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डलहौज़ी की भू-पिपासा

डलहौजी की भू:पिपासा १३३ मर्यादा के अनुसार किया गया, अंगरेज़ आफ़सर संस्कार में मौजूद थे, गौर

  • राजा ने अपने मरने से पहले बाज़ाता पत्र द्वारा अंगरे सरकार को उसकी

सूचना दे दी ।’’ फिर भी लॉर्ड डलहौज़ी ने २७ फरवरी सन् १८५७ को फैसला किया कि दत्तक पुत्र को राज का कोई प्रधिकार फाँसी का अपहरण नहीं । १३ मार्च सन् १८५८ को एक प्लान द्वारा झाँसी की रियासत जबरदस्त कम्पनी के राज में मिला ली गई । इतिहास लेख मेजर ईवन्स बेल ने अपनी पुस्तक ‘दी पम्पायर न इण्डिया' में लॉर्ड डलहौजी के इस अन्याय को बड़े स्पष्ट शबू में और विस्तार के साथ बयान किया है । झाँसी फी प्रज्ञा और राजकुल के साथ कम्पनी के इस घोर अन्याय का ही फल था कि सन् १८५७५८ के विप्लब में झती की प्रसिद्ध रानी लक्ष्मीबाई ने शास्त्र धारण कर, अद्भुत वीरता के साथ अंगरेजी सेना का मुकाबला किया किन्तु रानी लक्ष्मी बाई के चरित्र और इस विषय का अधिक सम्बन्ध पक अगले अध्याय से है । सम्बलपुर का जिलाजो इस समय बिहार और उड़ीसा प्रान्त में है, इससे पूर्व मध्यप्रान्त में शामिल था। सम्बलपुर द सन् १८४8 में लॉर्ड डलहौजी में इसी ‘लैट्स' के सिद्धान्त के अनुसार सम्बलपुर के स्वतन्त्र, किन्तु निर्बल रा पर अपना फ़ज़ा जमाया । ग्रहण • Bajirs in India, -16 y Major Evans Chi, TC 212-13.