पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२६

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११२५
भारतीय शिक्षा का सर्वनाश

भारतीय शिक्षा का सर्वनाशक ११२५ का हस सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली के नाश का एक मुख्य कारण यह था कि प्राचीन भारतीय उद्योग धन्धों के सर्वनाश उद्योग धन्धे का। और कम्पनी की लूट और अत्याचारों के कारण नाश औौर शिक्षा देश उस समय तेजी के साथ निर्धम होता जा रहा था, और देश के उन करोड़ों नन्हें नन्हें बालकों को जो पहले पाठशालाओं में शिक्षा पाते , ग्रय अपना और अपने माँ बाप का पेट भरने के लिए मेहनत मजदूरी में माँ बाप का हाथ बटाना पड़ता था । और आगे चल कर अपने से पहले की हालत और अपने समय की शिक्षा को हालत की तुलना करते हुए कैम्पबेल लिखता है “इस जिले की क़रीब दस लाख आाादी में से इस समय सात हज़ार बच्चे भी शिक्षा नहीं पा रहे हैं, जिससे पूरी तरह ज़ाहिर है कि शिक्षा में निर्धनता के कारण कितनी अवनति हुई है । बहुत से ग्राओं में, जहाँ / पहले पाठशालाएँ मौजूद थीं, बहों अब कोई पाठशाला नहीं है, और यहुत से ग्रन्य ग्राओं में जहाँ पहले बड़ी बड़ी पाठशालाएँ थीं वहाँ अब केबल अत्यन्त धनाड्य लोग के थोड़े से बालक शिक्षा पाते हैं, दूसरे लोगों के बालक निर्धन के कारण पाठशाला नहीं जा सकते । ‘इस जिले की अनेक पाठशालाओं को जिनमें देशी भाषाओं में लिखना, पढ़ना और हिसाब सिखाया जाता है, जैसा कि भारत में सद। से होता रहा है, इस समय यह दशा है ।x x ” विद्या ” ” कभी किसी भी देश में राज दरबार की सहायता के बिना नहीं , और