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१३४४
भारत में अंगरेज़ी राज

१३४४ भारत में अंगरेजी राज पुकारा गया । किन्तु ज्यों ज्यों -मुगल दरबार की ओर से आावध है। नबावो की स्वतन्त्रत बढ़ती गई, उतना उतना ही अंगरेज फरपर्द की ओर से उनकी परतन्त्रता बढ़ती चली गई हैं यहाँ तक f अवध के अदूरदर्शी भारतीय नरेश कम्पनी की मित्रता के चहुल ने पड़ कर थोड़े ही दिनों में सर्वथा पफुल होगए। नवाब पर बार बार यह इलजाम लगाया जाने लगा ।ि तुम्हारा राजप्रबन्ध ठीक नहीं, तुम्हारी प्रजा अवध निवासियों है वास्तव असन्तुष्ट । में जो कुछ कुपवन्ध य में असन्तोष आसन्तोष उस समय अवध में मौजूद था, व अंगरेजों ही का जान बूझ कर पैदा किया हुआ था । लॉर्ड हेस्टिंग्स लिखता है "वास्तव में इस प्रकार का शासन कायम करने का, जिससे प्रजा सुख हो, एक मात्र सच्चा और कारगर उपाय यही हो सकता था कि अंगरे रेज़िडेएट को वापस बुला लिया जाय और नवाब को अपने राज के प्रबन्धु में आजाद छोड़ दिया जाय । इस प्रकार, उस इलाके के असन्तोष क सारा पाप कम्पनी के सर पर है ? सन् १३७ में नवाब के साथ एक नई सन्धि की गई, जिस नवाब को और भी अधिक जकड़ दिया गया। - As a natter of fact, the true and effectual way o introductuon of a administration which would render the people happy would have been । cal British Resident back and to give the Nabob a free hand in the adminis ation of his dominionThus the whole guilt of unrest in his territory res on the bead of the Company."-Charles Ball's Hittery f the Indian Niating vol. , p, 152.