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भारत में अंगरेज़ी राज

११२६ भारत में अंगरेज़ी राज भारत के इस भाग में विज्ञान को देशी दरबारों की ओर से पहले जो सहायता और उत्तेजना दी जाती थी वह अंगरेजी राज के थाने के समय से, बहुत दिन हुएबन्द कर दी गई है । इस ज़िले में प्रय घटते घटते शिक्षा सम्पन्धो ५३३ संस्थाएँ रह गई हैं और मुझे यक्ष कहते लजा पाती है कि इनमें से किसी एक को भी अब सरकार की छोर से किसी तरह की सहायता नहीं दी जाती ।” इसके बाद प्राचीन भारत में इन असंख्य पाठशाला के ख़र्च की व्यवस्था को बयान करते हुए कैम्पबेल लिखता है प्राचीन ‘इसमें कोई सन्देह नहीं कि पुराने समय में, पाठशालाओं की । विशेष कर हिन्दुओं के शासन काल में, विद्या प्रचार ख़र्च की व्यवस्था की सहायता के लिए बहुत बड़ी रक़में और बड़ी बड़ी । जागीर राज की ओर से घंधी हुई थीं » · हैं। ' x & x पहले समय में र को आमदनी का एक बहुत बड़ा हिस्सा विद्या प्रचार को उत्तेजना और उन्नति देने में ख़र्च किया जाता था, जिससे राज का भी मान बढ़ता था, किन्तु हमारे शासन में यह तक अवनति हुई है कि राज को इस आमदनी से अब उलटा अज्ञान को उन्नति दी जाती है । पहले जो जबरदस्त सहायता राज की ओर से विज्ञान को दी। जाती थी उसके बन्द हो जाने के कारण श्लब विज्ञान केवल थोड़े से दानशील व्यक्तियों की अकस्मात उदारता के सहारे ज्य स्यों कर जीवित है । भारत के इतिहास में विद्या के इस तरह के पतन का दूसरा समय दिखा सकता कठिन है × ?’ * है

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