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भारत में अंगरेज़ी राज

१३६ भारत में अंगरेजी राज पलाम प्रकाशित किया कि हर जात के रोगीपुरुष और ली, यहाँ तक कि परदानशीन त्रियाँ भी इलाज के लिए इसी अस्पताल में . आधे और कोई देशी हकीम या वैद्य न किसी रोगी को दबा दे और न किसी का इलाज करे। इस प्लान के प्रकाशित होते ही सहारनपुर की जनता में तहलका मच गया । लोगों के भाव यहाँ तक बिगड़े कि अफसरों को अपना ले 18 एलान वापस लेना पड़ा इस तरह के अनुचित व्यवहार को और भी अनेक मिसालें दी जा सकती हैं। अंगरेजों के फिर भी मोटे तौर पर सन् १८५७ की अनुचित व्यवहार की कुछ मिसालें क्रान्ति के पाँच मुख्य कारण कहे जा सकते हैं- १--दिल्ली सम्राट के साथ अंगरेजों का लगातार अनुचित व्यवहार । २-अवध के नवांव और अवध की प्रजा के साथ अत्याचार । हैं ३-डलहौज़ी की अपहरण नीति । ४अन्तिम पेशवा बाजीराव के दत्तक पुत्र नाना साहब के साथ कम्पनी का अन्याय 1 और ५-—भारतवासियों को ईसाई बनाने की आकांक्षा और भारतीय सेना में ईसाई मत प्रचार। इनमें से एक एक कारण को थोड़े : विस्तार के साथ बयान करना आवश्यक है।

  • Warratics of the Indian Repot, p. 359.