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१३६०
भारत में अंगरेज़ी राज

१३६० भारत में अंगरेज़ी राज सम्राट और उसके हितचिन्तकों के दिलों में अंगरेजों की ओर से घृणा बढ़ती चली गई । दिल्ली में अंगरेज़ों के विरुद्ध असन्तोष फैलने का यह दूसरा कारण हुआ । सम्राट अकबरशाह ने अपने एक पुत्र मिरजा सलीम कोजिसे मिरजा जहाँगीर भी कहते थे, युवराज नियुक्त करना चाहा। कहा जाता है, मिरजा सलीम अंगरेज से घृणा करता था। अंगरेजों ने किसी बहाने मिरजा सलोम को इलाहाबाद भेज कर बहाँ नजरबन्द कर दिया है सनाटद्वार का बल अनेक आन्तरिक कारणों से पहले ही क्षीण हो रहा था । सम्राट ने इसके बाद अपने एक दूसरे चेटे मिरज़ा नीली को युवराज बनाने का प्रयत्न किया 1 अंदर ने इसका भी विरोध किया। सन् १३७ में सम्राट अकघरशाह की मृत्यु हुई और अन्त में सम्राट बहादुरशाह अपने पिता के सिंहासन पर बैठा। जनरल लेक ने सम्राट शाहआलम को जो 'इकरारनामा ' लिख कर दिया था वह अभी तक पूरा न किया गया राजा राममोहन था। सम्राट अकबरशाह ने उस इक़रारनामे की राष शर्त को पूरा कराना चाहा, किन्तु उसे भी सफलता न हो सकी। इस पर श्र क्रबर शाह ने राजा राम मोहन राय को । अपना एत'ची नियुक्त करके इङलिस्तान भेजा । वहाँ पर भी। राजा राममोहन राय की किसी ने न सुनो और इइलिस्तान के शासकों ने कम्पनी की मुहर लगे हुए ‘इकरारनामे को कदर रही काग़ज़ से अधिक म की । इस बात की खबर जब दिल्ली पहुँची तो वहां के