पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२९४

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सन् १८५७ की क्रान्ति से पहले

सन १८५७ की क्रान्ति से पहले

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लाग्ने रुपए ईसाई मत प्रचारकों में वितरण किए। भारतीय गुजाने -से पादी विशप और ग्री बिशपों को बड़ी बड़ी तना मिलने लगों । दफ्तरों के अन्दर अनेक , अफसर अपने भारतीय मातहतों पर ईसाई होने के लिए जोर देने तगे । ) , अनेक ग्रंगरेज ईसाई पादरी अपनी बक्कतों श्रीर पक्षिकाओं में हिन्दू और मुसलमान धर्मों की घोर निन्दा करने लगे और । धर्मों के पूज्य पुरुपर्ण के लिए अनुचित शब्दों का उपयोग करने लगे । २२ मार्च सन १-३२ को पालिमेट की सिलेक्ट पमेटी के सामने गवाही देते हुए काम टी० मै ने ययन किया- । ' x & पहुत से योग्य भारतीय मुसलमानों ने मुझसे पगम दि गा है कि गधरमेट ईसाई पादरियों के साथ यही रिप्राय करती है और में पादरी लोग उनके धार्मिक रियलों की गतिों राक में निर्धा करने में है। को पहुंच जाते हैं। इनमें से एक पादरी हिन्दू, मुसलमान या ना तै। व्याख्यान देते हुए कह रहा था -तुम लोग मोहम्मद के शरिए अपने पर की माफ़ी की मात्रा करते हो, किन्तु मोहम्मद इस समय ग्रीट में है । यदि तुम लोग मोहम्मद के टट्टों पर चिश्यास परसे रहोगे तो गुम पद की खोले जा रैोगे। "% ईसाई पादरियौं के विरुद्ध प्रस तट की निकायतें उन दिनों । चडत नरम था। • 1wittener by Captain T.12) 7, stor !क : ck., 22nd March, 1832