पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३०४

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सन् १८५७ की क्रान्ति से पहले

सन १८५७ की क्रान्ति से पहले ??? न लन्दन दरेज राष्ट्रीय के कमों में बैठ कर बहुत तय इम - योजना को रद्द और सप ट्ाि । उसके बाद रही बापू जी दिग्गत के नरेशों को इस योजना के पक्ष में करने के उदेश से मारा यात माया और चतुर नजीमुल्ला ग्य यूरोप के अन्दर जंग के बल औौर स्थिति को समझने के लिए और भारत के साथी स्याना संग्राम में अन्य राष्ट्र की सहायता या सदानुभूति प्राप्त करने के. लिए यूरोप के विविध देश में भ्रमण करने लगा । ग्रन्य देशों में होते हुए प्रतीमुरा * टर्चा की राजधानी स्तुनमुनिया पहुंचा। उन दिनों से श्रीर यूरोप के अन्य इनलिस्तान के बीच युद्ध जारी था। अनोमुरा देश में रखाँ ने सुना कि हाल में वस्तपोल की साड़ाई में आजमुना मस ने अंगरेज़ को हरा दिया। नीमुन्ना ठी रूस पहुंचा। कई अंगरेज़ तिदान हो यकों में ग्र शाला प्रकट की है कि अज़ीमुरा माँ नाना साहब को जोर से गंगरेलों के विरत रूस के साथ सन्धि करने के लिए इस गया था । रूम में प्रसिद अंगरेज़ विद्वान रसल के खाrध, जो लन्ट्रम के अगुबार 'टाइम्स' फा सम्वाददाता था, अज़ीमुल्ला खाँ की मुलाःात सुई। एक दिन रसन ए के माथ बैठ कर नोमुरला गाँ बड़े चाय के साथ दिन भर अंगरेज़ों प्रौर कसियों की लड़ाई देग्नता रहा 1 रसल ने सिंगा है है कि. रूसी तोप का एक गोला 'अज़ीमुल्ला के ठीय पैर के पास प्रायर फूटा, किन्तु नजीमुरला अपनी जगध से बाल भर भी न हिना। मालूम नहीं कि काम के बाद अज़ीमुरुगा औौर यह यहां गया । ।