पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३१४

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सन् १८५७ की क्रान्ति से पहले

सन् १८५७ की क्रान्ति में पहले ड में वह सब से ग्रन्त में ग्राता था उसका कर्त्तव्य होता था कि यह

  • "अपने पास की दूसरी पलटन तक उठ रल यो पहुंचा देt उसका ।

द्र गुप्त अर्थ यह लिया जाता था कि उस पलटन के सब सिपो विप्लव में भाग लेने के लिए तैयार हैं । इस प्रकार न के सह प्रम । पेशावर से बैरकपुर तक विधिध पलटों के अन्दर घुमाए गए । चपाती (रोटी) एक गांव का चौकीदार दूसरे ग्रुप के श्रीफीधा के पास ले जाता था1 उत नौकीदार का कसंचय होता था कि ( बद उस चपाती में से थोड़ी सी स्वयं स्य।कर रॉप गांव : दूसरे .

  • लोगों को लिखा दे और फिर गेहूं या दूसरे घाटे पी पी नरह पी

, चपातियाँ बया कर बद अपने पास के गांय त: पहुँचा है। इसका । जी अर्थ यह होता था कि उस गाँच को जनता राष्ट्रीय वितव में भाग ड लेने के लिए तैयार है । चमस्कार सा मालूम होता है कि स्पन्द 6 महोने के प्रन्टर ये नन्हौकिक चपातियां भारत जैसे विशारा देश में इस सिरे से उस सिरे तक लागों ग्रामों के अन्दर पहुँच गई। निस्सन्देव सिपाहियों के लिए रतवर्ण कमल पर जनता के लिए - रोटीदोनों चिन्द गम्भीर और अर्धस्त्रय थे । माना की इस यात्रा में ही रविवार 22 मई सन १८५७ का दिग

' रबियार ३५ मई, समस्त भारत में एक साथ विलय यरने के लिए.

सन् १८५७ नियत कर दिया गया 1० किन्तु म तिथि थी। • "Prom Pvtary t rn P:44 : :- ४१. t a vasat:- ने : 11: May 1857, had lken rr. a 44 ::- : w १०० 3-::--4, -6 At . Sony miai a rt१८, १:३ १०५ ::र :::: ८ ' से ). * ! , . 17. सद , "