पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३१६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पैंतालीसवाँ अध्याय

= 40 - । चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ किसी भी विप्लव या क्रान्ति के सफल होने के लिए एक ग्राघश्यक शर्त यह है कि विप्लव सब स्थान पर दमदम की घटना नियत समय से हो। जनवरी पर और नियत टन सन १८५७ में कलकत्त के पास दमद्म नामक ग्राम में स्मात् एक छोटी सी घटना हुई जिसने सन् ५७ की क्रान्ति के विषय में यह बात पूरी न होने दी। सन १८५३ में एक नई किस्म के कारतूस कम्पनी ने अपनी भारतीय सेना के लिए प्रचलित किए । भारत में कई जगह पर इन कारतूसरों के बनने के लिए कारखाने खोले गए 1 इससे पहले के कारतूस सिपाहियों को हाथों से तोड़ने पड़ते थे, किन्तु नए कार- लूस को दांत से काटना पड़ता या । प्रारम्भ में फेवल एफ दो