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चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ

चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ १४०: चाल्र्स वॉल ने अपने विप्लव के इतिहास में लिखा है कि डिज- रेली, जो बाद में इंगलिस्तान का प्रधान मन्त्री हुम्मा, कहा करता या कि कोई भी मनुष्य कारतूसों को बिप्लब का वास्तविक कारण नहीं मानता । एक इतिहास लेखक लिखता है कि जिन कारतूसों पर भारतीय सिपाही पतराज़ करते थे, उन्हीं को उनमें से अनेक ने बेखटके क्रान्ति के दिनों में अंगरेजों के विरुद्ध इस्तेमाल किया । झम ऊपर लिख चुके हैं कि इन नए कारतूसों के कारण क्रान्तिः मियत समय से पहले प्रारम्भ हो गई । सन् ५७. बैरकपुर से क्रान्ति की क्रान्ति का श्रीगणेश एक प्रकार बैरकपुर से का श्रीगणेश हुआ । फ़रवरी सन् ५७ में की १४ - बैरकपुर नम्घर पलटम को नए कारतूस उपयोग करने के लिए दिए गए है। सिपाहियों ने उन कारतूसरों का उपयोग करने से साफ इनकार कर दिया। बढाल भर में उस समय कोई गोरी पतटन न थी । इस लिए अंगरेज अफसरों ने फौरन बरम से एक गोरी पलटन मैंगवा कर १8 नम्बर पलटन से हथियार रखा लेने और सिपाहियों को बरख़ास्त कर देने का इरादा कर लिया । सिपाहियों को अब इस बात का पता चला तो उनमें से कुछ ने चुपचाप हथियार रख देने के बजाय तुरन्त क्रान्ति प्रारम्भ कर देने का विचार किया 1 उनके हिन्दोस्तान अफसरों ने उन्हें ३१ मई तक रुके रहने की सलाह । etploded the mune WAuch , owing to a variety ot causesIreen tor a long time preparing. "-fedley'A lar', Ca Mairmink in India j; Mare, S7 to Marct, ws,