पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३२४

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१४०३
चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ

चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ १४०३. पाकर कुछ गोरे सिपाहियों सहित पाँडे की ओर बढ़ा । मइल पड़े ॥ ने यह देखकर स्वयं अपनी छाती पर गोली चलाई। वह जख्मी होकर गिर पड़ा और गिरफ्तार कर लिया गया। महल पडे का कोर्ट मार्शल हुआ, उसे फाँसी की सज़ा दी गई । ८ अप्रैल का दिन फाँसी के लिये नियत मझ पडे को किया गया 1 किन्तु बैरकपुर भर में कोई मेहतर फाँसी तक मङ्गल पांडे को फाँसी देने के लिए राजी न" हुआमें कलकत्त से चार बुलाए । अन्त आदमी इस काम के लिए गए और 2 तारीख के सबेरे स्कूल पाडे की फाँसी दे दी गई। चाल्र्स वॉल और लॉर्ड रॉबर्ट्स दोनों लिखते हैं कि उसी दिन से सन् १८७५ के समस्त क्रान्तिकारी सिपाहियों को पाँडे' के. नाम से पुकारा जाने लगा 1* मइल पांडे की फाँसी के बाद अंगरेजों को पता चला कि १६ नम्बर और ३४ नम्बर की देशी पलटनें विलय १६ ३४ और के लिए गुप्त सन्त्रणाएँ कर रही हैं । तुरन्त इना नम्बर की देशी दोनों पलटनों से हथियार रस्का कर सिपाहियों को बरखास्त कर दिया गया । ३४ नम्बर के

सुवेदार को इस अपराध में कि उसके यहाँ गुप्त सभाएँ हुआ करती

थीं, फाँसी दे दी गई । फिर भी इन दोनों पलटों के नेताओं ने - - - - - - से • r The nare thas become a recognized distinction for the reellious Sepoys throughout India, ".Charles Ball. "This name was the origin of the Sepoys generally being called ‘Randaye"-Pry-ck keyw is lic, by Lord Rober's. - - - - - - ' कहा - से - -