पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३२६

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चरबी के कारतूस और क्रान्ति का प्रारम्भ

चरखी के कारतूस औौर क्रान्ति का प्रारम्भ १४०५ । , गया कि तुम्हें दस दस साल की सज़ा दी गई है । इसके बाद -ड़ियाँ पड़े हुए उन्हें जेल ख़ाने की भोर भेजा गया। उनके साथ के सहस्त्रों हिन्दोस्तानी सिपाही, जो उन्हें बिलकुल निर्दोष मानते थे, भीतर ही भीतर दुख और क्रोध से बेताब होगए, किन्तु उन्हें प्रभो तीन सप्ताह औौर शान्त रहने की आशा थी। वे अपने क्रोध को पोकर बारगी की और बाप ग्रागए 14 यह घटना सुबह की थी । शाम को मेरठ के ये हिन्दोस्तानी ! सिपाही शहर में घूमने के लिए गए । लिखा है कि शहर की स्त्रियों । ने स्थान स्थान पर उन्हें यह कह कर नाच्छूना दी छिः ! तुम्हारे भाई लखाने में हैं और तुम यहाँ बाज़ार में मक्खियाँ मार रहे हो ! तुम्हारे जीने पर धिक्कार है । सिपाहियों ने अभी तक काफी बैर्य से काम लिया था । प्रब मेरठ की स्त्रियों के शब्द उनके दिलएँ में घुस गए । रात को बार में गुप्त सभाएँ हुई । निश्चय हुआ कि ३१ मई तक चुप बैठना ! सम्भव है । मई की ी रात को सिपाहियों ने दिल्ली के नेताओं को ख़बर भेज दो कि हम कल या परसों तक दिल्ली पहुंच जायेंगे। श्राप लोग तैयार रहें 16 अगले दिम १० मई को इतबार था 1 मेरठ शहर के सुन्दर • Kayeistory f the Sta lwar, book ivcha ii. s + J. c wsons Ofeial warratiz - Ta RsPalk, by G, B. AMallison.